Saturday 29 March 2014

ये दोस्ती

यह कविता मुझे ईमेलसे मिली है। मै इसके कवीको नही जानता, मगर वह जो भी हो उसे सादर प्रणाम।

चलो कुछ पुराने दोस्तों के
दरवाज़े खटखटाते हैं।
देखते हैं उनके पँख थक चुके हैं,
या अभी भी फड़फड़ाते हैं।

वो बेतकल्लुफ़ होकर
किचन में कॉफ़ी मग लिए बतियाते हैं।
या ड्राइंग रूम में बैठा कर
टेबल पर नाश्ता सजाते हैं।

हँसते हैं खिलखिलाकर
या होंठ बंद कर मुस्कुराते हैं।
वो बता देतें हैं सारी आपबीती
या सिर्फ सक्सेस स्टोरी सुनाते हैं।

हमारा चेहरा देख
वो अपनेपन से मुस्कुराते हैं।
या घड़ी की और देखकर
हमें जाने का वक़्त बताते हैं।

चलो कुछ पुराने दोस्तों के
दरवाज़े खटखटाते हैं।
देखते हैं उनके पँख थक चुके हैं,
या अभी भी फड़फड़ाते हैं।

सभी पुराने दोस्तोंको समर्पित ।
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जिंदगी दोस्तोंमे मिला करती है .... और ये दोस्त भी बडे अजीब होते हैं। 
देनेपे आये तो जान भी दे दें  ....  और लेनेपे आये तो हँसीतक छीन लें।
कहनेपे आये तो दिलके तमाम राजतक कह दें ...
और छुपानेपे आये तो ये तक न बताये कि खफा क्यूँ हैं।
नाराज होनेपे आये तो साँसतक ना लेने देते ...
और मनानेपे आये तो अपनी साँसोंको वार दें।
यारों किसीने सही कहा है, दोस्त जिंदगीमें नही मिला करते, बल्कि जिंदगी दोस्तोंमे मिला करती है।

मेरे सभी दोस्तोंको समर्पित।
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कुछ जाने माने फिल्मी गीत

ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे।।
मेरी जीत तेरी जीत, तेरी हार मेरी हार, सुन ऐ मेरे यार।
तेरा गम मेरा गम, मेरी जान तेरी जान, ऐसा अपना प्यार।
जान पे भी खेलेंगे, तेरे लिये ले लेंगे, सब से दुश्मनी ।।
लोगों को आते हैं, दो नज़र हम मगर, देखो दो नही।
हो जुदा, या खफा, ऐ खुदा, हैं दुवां, ऐसा हो नही।
खाना पीना साथ हैं, मरना जीना साथ हैं, सारी जिंदगी।।

.... शोले
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चाहूँगा मैं तुझे साँझ सवेरे,
फिर भी कभी अब नाम को तेरे,
आवाज़ मैं न दूँगा, आवाज़ मैं न दूँगा।।

देख मुझे सब है पता,
सुनता है तू मन की सदा ।
मितवा ... मेरे यार तुझको बार बार
आवाज़ मैं न दूँगा।।

दर्द भी तू चैन भी तू,
दरस भी तू नैन भी तू,
मितवा ... मेरे यार तुझको बार बार
आवाज़ मैं न दूँगा।।
..... दोस्ती
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ग़र ख़ुदा मुझसे कहे कुछ माँग ऐ बंदे मेरे
मैं ये माँगूँ  महफ़िलों के दौर यूँ चलते रहें
हमप्याला हो, हमनवाला हो, हमसफ़र हमराज़ हों
ता\-क़यामत जो चिराग़ों की तरह जलते रहें

यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी
प्यार हो बंदों से ये सब से बड़ी है बंदगी
यारी है! यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी

साज़\-ए\-दिल छेड़ो जहाँ में प्यार की गूँजे सदा
जिन दिलों में प्यार है उनपे बहारें हों फ़िदा
प्यार लेके नूर आया प्यार लेके सादगी
यारी है! यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी

जान भी जाए अगर यारी में यारों ग़म नहीं
अपने होते यार हो ग़मगीन मतलब हम नहीं
हम जहाँ हैं उस जगह झूमेगी नाचेगी ख़ुशी
यारी है! यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी

गुल\-ए\-गुलज़ार क्यों बेज़ार नज़र आता है
चश्म\-ए\-बद का शिकार यार नज़र आता है
छुपा न हमसे, ज़रा हाल\-ए\-दिल सुना दे तू
तेरी हँसी की क़ीमत क्या है, ये बता दे तू

कहे तो आसमाँ से चाँद\-तारे ले आऊँ
हसीं जवान और दिलकश नज़ारे ले आऊँ
तेरा ममनून हूँ तूने निभाया याराना
तेरी हँसी है आज सबसे बड़ा नज़राना
यार के हँसते ही महफ़िल में जवानी आ गई, आ गई
यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी 
... जंजीर




2 comments:

  1. चलो कुछ पुराने दोस्तों के दरवाज़े खटखटाते हैं। … ये कविता मेरी लिखी, इसे आप मेरे फेसबुक पेज पर भी देख सकते हैं - रंजना डीन

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  2. kavi kon hai is kavita ka?
    sagar kahan is sarita ka?
    kaise chal rahi hai ye nirnatar kal kal?
    tahri, madhur kintu fir bhi prabal..........
    kavi kon hai is kavita ka?

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